हंसी आई खुद पे
आंसू तो कबसे सूखे हुए
मज़ाक बना लिया खुद का
या मज़ा लिया जिंदिगी ने
ये प्यार है उनसे
या फिर ये प्यार खुद से
ये नफरत जिंदिगी से
या फिर ये नफरत खुद से
किसने किया था इशारा
शायद करे वो दुबारा
इंतज़ार नहीं अब ख़ुशी का
और डर नहीं किसी भी ग़म का